Dr Aditi dev

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -28-May-2022

“ख़ुशियों का बग़ीचा”

हो कैसा हमारा ये बग़ीचा,
जिसमें हो लगे फ़ूल ख़ुशियों के ।

ख़ुशी में खिला रहे चेहरा हमारा ,
मुरझाए ना  जब हो हम उदास कभी ।

काले बादल ना छाए हम पर ,
ना बरसे उदासी की बारिश कभी ।

रहे सदा रोशन सूरज से ,
ना हो दुःखों का अँधेरा कभी ।

सींचते रहे प्यारे रिश्ते सदा इन्हें ,
ना हो ये बंजर ओर तनहा कभी ।

प्रेम रूपी बीज हमेशा बोते रहे ,
ग़म में भी ना सूखे ये कभी ।

रहे विश्वास भरी जड़े इसकी ,
तूफ़ान भी ना उजाड़ पाए कभी ।

है ये ज़िन्दगी एक सुंदर बग़ीचा,
और है हम सूरजमुखी इसके ।

पल जो भी आए जीवन में,
ना हो ख़ुशियाँ दूर हमसे कभी।

   21
5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

29-May-2022 10:58 PM

बेहतरीन रचना

Reply

Swati chourasia

29-May-2022 06:58 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

Reply

Gunjan Kamal

29-May-2022 01:08 AM

शानदार प्रस्तुति 👌👌

Reply